पतंगे को दीपक का प्रकाश मिल जाये, तो फिर वह अंधेरे में नही लौटता, भले ही उसे दीपक के साथ प्राण गवाँने पड़े। जिन्हें आत्मबोध का प्रकाश मिल जाता है वे अविद्या के अंधकार में नहीं भटकते। भले ही उन्हें धर्म के मार्ग में अपना सर्वस्व समाप्त करना पड़े।

पदचिन्ह हैं कुछ अतीत में,जिनको मन मे उतारना है।
लड़ना है जिंदगी की जंग, तुझे नहीं हारना है।।
कोमलता और सुंदरता को,परमात्मा ने दिया है।
अपनी खुशियों के लिए, खुद को तूने बांध लिया है।।
बैठकर एकांत में खुद से पूछना,
कौन है तू अपने अंदर झांकना ।
एक धुन बजेगी मन के तारों की,
जरूरत है तुझे उस धुन में खोजाने की।।
पहाड़ो की चोटी में बैठकर अहसास करना,
दशों दिशाओं में व्याप्त कर कुछ देखना।
अपनी होशियारी का कुछ त्याग करना,
शून्य बन जाना स्वयं को शून्य करना।।
हर दिशा में हो तुम्ही तेरी ही सूरत है बसी,
बसना तो हमने भी है हिम्मत कसी।
अरमान दिल मे कुछ कर जाने का है,
आत्मा को परमात्मा से मिला देने का है।।
पर्दे में जब तक है तू खोजेंगे,
इश्क ऐसा है कि हर पल सोचेंगे।
अरमान-ए-परवाना कभी नहीं मिटेगा,
जरा झूमलो इसमें मन तेरा खिलेगा।।
चाँदनी रात में चाँदनी कुछ बताती है,
तू नही पर तेरे होने को जताती है।
बन्द जो पुष्प तो कलियों को खिलाती है,
प्रातः चहक पंछियो की हर पल हमें जगाती है।।
कबिरा ने तुझको चाहा और उसने पाया,
मोहब्बते-हुश्न का जलवा यहाँ दिखाया।
बुद्ध तुझको देखकर कुछ अवाक रह गए,
विवेक ने देखा तो बैराग्य पा गए।।
पैगाम तेरा देते चर्चा तुम्हारी होती,
कुछ इस तरह से नदियां कहीं हो बहती।
सागर सी गहराई अहसास में मिलती,
सुखों का सागर शाश्वत जहां पे होती।।
पल दो पल नही सदियों तक,
तेरा अहसास छुए मन तक।
समाया है जो सभी में रूपोशी,
करता भला इंसान हो या मवेशी।।
हो गया निकृष्ट मानव आज पशुओं से भी ज्यादा,
आपस मे वैर नफ़रत, तकरार आता न कुछ कायदा ।
इंसान को इंसान से नफरत सी हो गई है,
ढोंग करता सज्जनता का ईमान सो गई है।
वाह, बहुत सुंदर ।
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बहुत बहुत शुक्रिया जी
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जी धन्यवाद आपका ,सराहना के लिए
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