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कान्हा के संग(1).
प्रेम की बात,लिए सौगात,प्रभात किए बहु जीवन पाके। प्रेम रसिक, रस पीवन काहि, मन मे मनमोहन भाव जगाके। प्रेम को पाठ पढ़ाए सभी को,चितचोर रहे मोरे कृष्ण कन्हाई। जमुना जल अरु व्रजभूमि मा प्रेम जहां कण कण में समाई। गोकुल धाम, रह्यो अभिराम मोरे घनस्याम जहां रास रचायो। जहाँ ग्वालन ग्वालिन संग प्रभू धेनु चराय…