लेखनी बनी है प्रेयसी लेखनी बनी है प्रेयसी छोड़ इसे ना पाऊंगा।संग में इसके मैं सदा ही गीत प्रेम के गाऊंगा।। मन के भावों को सजाती उर के तारों को बजाती।कुछ नया लिखने की खातिर प्रेरणा के गीत गाती।चाहकर भी हाँथ अपने रोक नहीं अब पाऊंगा।लेखनी बनी है प्रेयसी… प्रतिभा मुझमे भी छिपी है अब […]
लेखनी बनी है प्रेयसी