खुद पर विश्वास और लक्ष्य प्राप्ति का दृढ़ संकल्प मनुष्य के कठिन से कठिन उद्देश्य की प्राप्ति में सहायक होता है । असफलता का सबसे बड़ा कारण हमारे विश्वास और संकल्प शक्ति की कमजोरी ही होती है । परंतु हमे इस बात को कभी नही भूलना चाहिए कि असफलता ही सफलता की जननी है ।

माता-पिता अपने पुत्र के जन्म से ही उसके भविष्य के लिए योजनायें बनाने लगते हैं। जब वो बालक थोड़ा बड़ा होता है तो बचपन मे ही उसको उसके भविष्य के सपने दिखाए जाते हैं ,और वो खुद भी सपनो को देखता है। परंतु वही बालक जब इन जीवन की बाधाओं के सामने अपने घुटने टेक देता है ,तो उसको स्वजनों पर क्या गुजरता होगा । समस्या तो तब बहुत ज्यादा जटिल होजाती है जब वो कठिन परिश्रम करने के बाद भी असफलता ही प्राप्त करता है । तो जब ऐसा होता है उसके साथ तब वो अपनी समस्यओं के साथ समझौता कर लेता है और उसका जो उसके लक्ष्य के लिए विश्वास और जो संकल्प शक्ति क्षीण हो चुकी होती है ,अरे समझौता आप कभी न करे अपने लक्ष्य प्राप्ति के दृढ़ विश्वास और दृढ़ संकल्प को इतना शक्तिशाली बना लें कि हालात को आपके सामने झुकना पड़े ,और वो खुद आपके सामने समझौता करे ।
थॉमस अल्वा एडिसन के बारे में तो अपने सुना ही होगा कि बचपन से ही वो कितने मूर्ख थे। बढ़े होने के बाद भी उनके कारनामे लोगो को मूर्खतापूर्ण लगते थे । अनेको बार वो अपने प्रयोगों में असफल हुए यहाँ तक कि उनको अनेको स्थानों से भी निकल गया परन्तु अंततः उन्होंने अपने विश्वास को और अपनी दृढ़ संकल्प शक्ति को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया और विद्युत बल्ब की खोज करके पूरी दुनिया को रोशनी प्रदान किया।
“विश्वास अगर ऊर्जा है तो संकल्प शक्ति उसकी अविरतता” मैं कर सकता हूं ये मेरे लिए आसान है चाहे वो कोई भी काम हो कितना भी दुर्लभ कर्म को ,लक्ष्य हो वो आपका हो चुका उसके लिए संकल्प शक्ति की अविरतता के साथ प्रयास लक्ष्य प्राप्ति की बाध्यता हो जाती है ।
हमारा दिमाग दो भागों से निर्मित होता है । प्रथम अग्र मस्तिष्क और दूसरा पश्च मस्तिष्क । अग्र मस्तिष्क सोचने समझने और निर्णय लेने का काम करता है।और सूचनाओं को पश्च मस्तिष्क में भेजता है तो पश्च मस्तिष्क उन सूचनाओं को संग्रहीत करके उनको वास्तविकता में परिवर्तित करता है ओर जब इसकी पनरावृत्ति होती है तो उन सूचनाओं को हमारी आदत बना देता है । तो कहने का भाव ये है कि हमारी कर्मो को , विचारो को सपनों को वास्तविकता प्रदान करने का काम पश्च मस्तिष्क का काम होता है तो जब हम किसी लक्ष्य के लिए दृढ़ संकल्प लेते हैं तो पश्च मस्तिष्क उससे प्रभावित होता है जो उसको वास्तिविकता में परिवर्तित करने की क्षमता रखता है।

तो इस प्रकार से अगर हम दृढ़ विश्वास और दृढ़ संकल्प शक्ति के साथ किसी भी लक्ष्य का निर्धारण करते हैं तो हमको असफलता नही मिलेगी। हमको विश्वास की शक्ति को समझना होगा।और संकल्प की शक्ति को भी की हमारा दिमाग कैसे काम करता है तो निश्चित तौर पर किसी भी असम्भव काम को भी सम्भव बनाया जा सकता है।